S.No. |
बलि अनुष्ठान का नाम |
अनुष्ठान का उद्देश्य एवं लाभ |
1 |
महामृत्युंजय मंत्र |
यह जप रोगशमन, कष्ट निवृत्ति, स्वास्थ्य लाभ, नाड़ी दोष, विद्या, सन्तान प्राप्ति, मुकदमे में विजय, धन लाभ, नौकरी व्यापार में उन्नति, आयु वृद्धि, वशीकरण, वैधव्य दोष निवृत्ति, कलह शान्ति, सुख- सौभाग्य प्राप्ति, स्वर्ग प्राप्ति, भाग्योदय, पारिवारिक प्रगति एवं विश्वशांति के लिए किया जाता है l |
2 |
श्री रुद्राभिषेक |
यह अनुष्ठान शत्रु भय, रोग निवारण, स्वास्थ्य लाभ, व्यापार वृद्धि, पारिवारिक कल्याण, संतान लाभ एवं सुख, रोग नाश, बाधा निवारण, विश्व शांति, लोक कल्याण, विविध शांति, यश-प्रतिष्ठा, धन-धान्य वृद्धि l के लिए किया जाता है। |
3 |
नवचंडी, शतचंडी अयुतचंडी सहस्र-चंडी, लक्षचंडी, कोटिचंडी महायज्ञ |
इस यज्ञ में शत्रु भय, रोग भय, व्यभिचार भय, लोक कल्याण, विश्व शांति, क्लेश शांति, स्वास्थ्य लाभ, नौकरी, व्यवसाय, शिक्षा-संतान पारिवारिक उन्नति, आत्म शांति, अवांछित विनाश, स्वास्थ्य, भूत-प्रेत का त्याग, भूत-प्रेत बाधा शांति, शत्रुओं पर विजय, मुकदमे में विजय, यश-प्रतिष्ठा, प्रेत बाधा एल के लिए किया जाता है |
4 |
रूद्र, महारुद्र, अतिरुद्र महायज्ञ |
यह यज दुर्भिक्ष, महामारी, भूकम्प, अग्निभय, चौर भय, सर्पदंश, बाढ़ - सूखा राहत, विश्व कल्याण, सन्तान धन धान्य वृद्धि, व्यापार सन्तान, नौकरी पदोन्नति, ग्रहादि अनिष्ट शान्ति, भूत - प्रेत बाधा शान्ति, सुख - शान्ति, परिवार कल्याण एवं अन्य समस्त समस्याओं के समाधान हेतु किया जाता है l |
5 |
श्रीमद् भागवत पाठ एवं कथा |
यह कथा एवं पाठ आदिपितृ दोष शांति, प्रेत मुक्ति, मोक्ष प्राप्ति, संतान प्राप्ति, आत्म शांति, अध्यात्म, सुख-शांति, दिव्य सुख, पितृशाप मुक्ति, भाव-भय-बाधा शांति, कुल वृद्धि
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6 |
सत्य नारायण व्रत कथा |
यह कथा पारिवारिक सुख-शांति, आत्मशांति, धन-संपत्ति में वृद्धि, परिवार में वृद्धि, मन की प्रसन्नता, व्यापार में वृद्धि, पाप से मुक्ति, सद्बुद्धि की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए है।
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7 |
स्थापत्य शांति |
यह अनुष्ठान मकान, दूकान , फैक्ट्री, मशीन, फ़्लैट आदि से उत्पन्न दोषों की निवृत्ति के लिए, व्यापार उत्पादन में वृद्धि, व्यापारिक विघ्न, भय - बाधा शमन, पारिवारिक सुख - शान्ति, लक्ष्मी - वृद्धि, गृहस्वामी की प्रगति हेतु किया जाता है l |
8 |
श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त कनक धारा स्तोत्र पाठ |
यह पाठ व्यापारिक उन्नति धन संग्रह, लक्ष्मी वृद्धि, सुख शान्ति, शान्तिमय जीवन यापन, धनप्राप्ति, नष्ट धनप्राप्ति, यश प्राप्ति, सत्कर्म कार्य भूमिगत धन प्राप्ति एवं सर्वविधि कल्याणार्थ किया जाता है l |
9 |
विष्णु सहस्रनाम , गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र पाठ |
यह पाठ नौकरी एवं व्यापार में उन्नति, पारिवारिक सुख - शान्ति, धन - धान्य वृद्धि, परिवार सुरक्षा, परिवार की प्रगति, परिवार में मांगलिक कार्य हेतु किया जाता है l |
10 |
गणेशाथर्व शीर्ष पाठ एवं गणपति मन्त्र जप |
यह अनुष्ठान अकारण विघ्न - भय - बाधा निवारण, परिवार एवं स्वयं के संकट निवारण हेतु, बालकों के लिए, विद्या - बुद्धि प्राप्ति, कन्या के विवाह में विघ्न निवारण हेतु, सन्तान सुख एवं सन्तान की प्रगति हेतु किया जाता है l |
11 |
श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त कनक धारा स्तोत्र पाठ |
यह पाठ व्यापारिक उन्नति धन संग्रह, लक्ष्मी वृद्धि, सुख शान्ति, शान्तिमय जीवन यापन, धनप्राप्ति, नष्ट धनप्राप्ति, यश प्राप्ति, सत्कर्म कार्य भूमिगत धन प्राप्ति एवं सर्वविधि कल्याणार्थ किया जाता है l |
12 |
जड़ शांति |
यह शान्ति मूल नक्षत्र में जन्मे बालको के अनिष्ट निवाराणार्थ, बालक - बालिका की विद्या - बुद्धि विकास, स्वास्थ्य लाभ, उन्नति एवं माता पिता के कष्टों के निवाराणार्थ की जाती है l |
13 |
सूर्य अनुष्ठान एवं आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ |
यह अनुष्ठान शिरो वेदना, नेत्रकष्ट, हड्डी पीड़ा, आत्मबल में कमी, पितृशाप के निवृत्ति हेतु तथा नौकरी प्राप्ति, पदोन्नति, आन्तरिक उर्जा एवं उत्साह में वृद्धि हेतु किया जाता है l |